...

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सत्ता परिवर्तन
प्रियवर मेरे जब तुम नहीं थे -
झगड़ते हुए मुझसे झाड़ू और
रगड़ते हुए पोंचे ने एक दिन
मुझसे पूंछा ,"और कैसे हो ?"
गुथ्थम-गुथ्था करता रहा आटा ;
मुँह चिढ़ाती रहीं रोटी और
गाल फुलाता रहा परांठा !
वो बेरहम प्याज भी रुलाके
बोला आज ,"कहो प्यारे,
बज रहा है अकेले
ज़िन्दगी का साज़ !
नन्ही-सी मिर्ची ,
ले करके मुझसे चुस्की ;
दे गई प्रियवर
एक लंबी-सी सिसकी !
मच्छर भी काटकर कानों में
गुन-गुना जाते थे मेरे -
अकेले रहना है रिस्की ,
और पी लो व्हिस्की !
चौकी और बेलन की
रोज होती थी खटपट !
फिर भी वे दोनों
मिल बैठते थे झटपट !
कपड़ों ने पलंग पर
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