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ग़ज़ल
२२१-१२२२-२२१-१२२२

मैं भी वहीं जाऊँगा तुझको जहाँ जाना है
इक रोज़ तो मिट्टी में सबको ही समाना है (१)

अपनी भी कहानी है अपना भी फ़साना है
कहना है ज़ुबाँ से कुछ आँखों से बताना है (२)

जो करता नहीं कोई वो करके दिखाना है
दुनिया में हमें...