...

30 views

पदोन्नति (कथा काव्य)
तितली का एक बच्चा ,
जो था अकल में कुछ कच्चा ;
बगल में अपनी फाइल दबाए
हो रहा था परेशान ,
भरना चाहता था उड़ान !
आंखों में थे तैरते हुए सपने
और दिल में अनेक अरमान !
सोंचा गार्डन का वार्डन मैं
बन जाऊं, और जीवन में
सफल मैं कहलाऊँ !
माँ ने प्यार से पीठ उसकी थपथपाई
और बात पते की यह समझाई -
पहले ही ये दुनिया हमें समझती
है कीड़ा ;
क्या कम है हमारे लिए ये पीड़ा !
प्रमोट होके मेरे लाल और क्या
गुल खिलाओगे ;
आज कहलाते हो कीड़ा ,तो क्या
कल सुपर कीड़ा कहलाओगे ?
पदोन्नति नियति की है नियामत!
आज भले ही हो तुम -प्युपा
कल तुम पापा बन जाओगे !
कल तुम पापा कहलाओगे !!
. ---------×------------×----------- ---

© Brijendra Kanojia