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पिता से है मेरी पहचान ॥

है पैर ज़मीन पर मगर छूना है आसमान
पंछी जैसे उड़ना है मेरे अरमान
दिन आया मेरी प्रतिभा का हुआ एल्हान
आज इस सफलता के असली हक़धार से सब है अनजान ।

ज़िंदगी के प्रशिक्षण में आया एक नया इम्तेहान
हाथ थामा पिता ने जब मन में था डर का तूफ़ान
आज जब मेरी क़ाबिलियत का हुआ सम्मान
हुई फक्र से छाती छोड़ी क्यूँकि पिता से है मेरी पहचान ॥

जब...