चहकती चिडियाँ
कहने को सब हैं मेरे पास
पर कोई अपना नहीं
यूं तो पूरा दिन चहकती
रहती हूँ घर के आँगन में
पर रात के अन्धेरो में
भीगी पलके हो जाने पर
कोई आँसू पोंछ ने वाला नहीं
चहकती चिडियाँ ना जाने
कब से कैद अपने ही पिंजरे में है
कहने को सब हैं उसके पास
बस उड़ने के लिए खुला आसमान ही नहीं
© chandni
पर कोई अपना नहीं
यूं तो पूरा दिन चहकती
रहती हूँ घर के आँगन में
पर रात के अन्धेरो में
भीगी पलके हो जाने पर
कोई आँसू पोंछ ने वाला नहीं
चहकती चिडियाँ ना जाने
कब से कैद अपने ही पिंजरे में है
कहने को सब हैं उसके पास
बस उड़ने के लिए खुला आसमान ही नहीं
© chandni