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अभिमन्यु
दुस्साध्य सूक्त प्रणीत क्षिप्र शर
धनंजय तनुज प्रवर धनुर्धर

शैल निर्मित गात, पाषाण उर
शर संचालन तडित वेग, द्रष्टा सकल सुरपुर

बलिष्ठ बाहु परिधि ज्यों सकल व्योम हो
अरि प्राण की दे रहा आहुति इस होम को

फिर दिखा सुभट, कपट निर्मित दुष्कर चक्रव्यूह।
गर्जन कर रहा कराल, प्राणघातक भट समूह

हो गया प्रविष्ट उस में ज्यों मग्न विशाल मत्तंग
सायण उद्वेलित कर रहा लंकवेष्टित दिव्य निषंग

हाय! ये कपट लिप्त शौर्य, वधासन्न वो वीर
निशस्त्र बालक पर टूट पड़े वो छद्म रणवीर

सहस्र करवाल चली देह पर, देह क्षत विक्षत
अमर्षमयी पृथासुत, उग्र पांडव पक्ष समस्त


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