बचपन का सिख और उसके बदलते मायने
बचपन खूबसूरत होता है ,इसमें कोई कपट नहीं होती
बचपन मे सब सिखाते हैं सच बोलो, सबका सम्मान करो
बड़े बड़े सपने देखो और उनके पूरा होने पर भरोसा करो,
मेहनत करो पूरी, दुनिया तुम्हारी मुट्ठी में होगी ।
बचपन के मासूम उम्मीदें जिंदा रखती हैं, हौसला देती है।
पर अक्सर बचपन के सिख बड़े होते होते अपने मायने बदल जाते हैं।
अब सच का कोई मोल नहीं होता और झूठ का बोलबाला
अब सम्मान और कदर ताकत की होती है इंसानों की नहीं
अब सपने कितने भी बड़े देखो वो पूरे नहीं...
बचपन मे सब सिखाते हैं सच बोलो, सबका सम्मान करो
बड़े बड़े सपने देखो और उनके पूरा होने पर भरोसा करो,
मेहनत करो पूरी, दुनिया तुम्हारी मुट्ठी में होगी ।
बचपन के मासूम उम्मीदें जिंदा रखती हैं, हौसला देती है।
पर अक्सर बचपन के सिख बड़े होते होते अपने मायने बदल जाते हैं।
अब सच का कोई मोल नहीं होता और झूठ का बोलबाला
अब सम्मान और कदर ताकत की होती है इंसानों की नहीं
अब सपने कितने भी बड़े देखो वो पूरे नहीं...