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क्षितिज
फिसल गया वक्त
हाथों से,
सब के सब
हाथ छुड़ा गए,
कहा था जिसने
साथ रहेंगे सदा,,,
पता नही वो शख्स
अब किधर गए,,,?
हम देखते रहे
पल-पल
करवटें सबकी
सब हर पल
बदलते रहे,,
देकर शहद सी
मिठास बातो मे,
जख्म पर नमक
मलते रहे,,
ना जी ना
अचरज नही जरा भी,
ना ही हैरानी हुई,
अपने नही है कोई
जान गये हम,
तुम बस अपने लिए
खास हुई,,
तुम्हारे ही अल्फाज थे ना?
सोचना आज तुम
किस #क्षितिज पर हो,,,??
तुमने मेरे साथ क्या किया ?
मेरे वहा आने पर,
तुम्हारे सिवाय कौन था?
मेरा वहा पर,
हताश होकर पहुंच गया
लहरो पर,
जहा हमे रोका गया था
जाने से लहरो पर,
घुटनों पे ही चलते हुए
मर जाती सब हसरतें
बदनसीब ऐसे भी,
ख़्वाहिशें जवां नहीं होती
खाए हुए हजारों ही हैं,
जख़्मों को कलेजे में
फरियाद मगर चीख़ की
अब बयाँ नहीं होती
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