समय की मांग
सदियां बीत गए अपनों से मिले
अब तो आंगन में बताशे भी नहीं बंटते,
मां का दिल है कि मानता ही नही
द्वार पर एक रंगोली आड़ी टेड़ी बना ही देती।
रंग बिरंगे कतारें हैं ऊंची- ऊंची इमारतों पर
पर बिन दीए मिट्टी...
अब तो आंगन में बताशे भी नहीं बंटते,
मां का दिल है कि मानता ही नही
द्वार पर एक रंगोली आड़ी टेड़ी बना ही देती।
रंग बिरंगे कतारें हैं ऊंची- ऊंची इमारतों पर
पर बिन दीए मिट्टी...