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भारी है....
आज मेरी कलम, मेरा फन भारी है
उड़ता नहीं मुझसे, मेरा क़फ़न भारी है
ज़ख्मों पे नमक लगा हंसना है बहुत
क्या कहूं, बे मुरव्वत सनम भारी है
मेरे ज़हन में पड़े हुए घाव हैं गहरे
निकलता भी नहीं, मेरा दम भारी है
इलाज़-ए-मर्ज़ में, मर गया जोकर
मिटता नहीं किसी से मेरा ग़म भारी है
मेरे ताबूत में, वो रख गया है गुलाब
ज़ालिम है बड़ा, बड़ा सितम भारी
🤡
© Dr. Joker
उड़ता नहीं मुझसे, मेरा क़फ़न भारी है
ज़ख्मों पे नमक लगा हंसना है बहुत
क्या कहूं, बे मुरव्वत सनम भारी है
मेरे ज़हन में पड़े हुए घाव हैं गहरे
निकलता भी नहीं, मेरा दम भारी है
इलाज़-ए-मर्ज़ में, मर गया जोकर
मिटता नहीं किसी से मेरा ग़म भारी है
मेरे ताबूत में, वो रख गया है गुलाब
ज़ालिम है बड़ा, बड़ा सितम भारी
🤡
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