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तुम्हे भी यह समझना होगा...!
तुम्हे भी यह समझना होगा...

मुझे पता है तुम्हे सजी सवारी, शृंगार की हुई मैं बोहोत पसंद हु । पर तुम्हे भी यह समझना होगा कि इस शृंगार से अधिक प्रिय मुझे मेरी आज़ादी है।

मुझे पता है कि तुम्हे पहली नजर मैं ही प्यार हुआ था मुझसे और बोहोत फिक्र भी करते हो मेरी पर तुम्हे भी ये समझना होगा कि रिश्ते सूरत से नही समझ से बनते है

मुझे पता है कि तुम्हे इतना प्यार है मुझसे की मेरा नोकरी करना तुम्हे अच्छा नही लगता। पर तुम्हे भी ये समझना होगा कि तुम्हारे साथ घर चलाने का हौसला ओर हिम्मत मैं भी रखती हूं।

मुझे पता है कि तुम घर के बड़े बेटे हो इसलिये बोहोत जिमेदारिया है तुमपर । पर तुम्हे भी ये समझना होगा की कुछ बेटिया भी घर का बड़ा बेटा हुआ करती है।

मुझे पता है कि बोहोत से लोग ये नही समझ पाते की औरत क्या चीज़ है । पर मुझे लगता है कि उन्हें सबसे पहले उन्हें ये समझनेकी जरूरत है कि औरत कोई चीज नही होती।

मुझे पता है की कुछ लोगो को लगता है कि औरत की जिंदगी घर और बच्चों मैं गुजर जाती है पर उन्हें भी यह समझना होगा कि उसे भी एक अच्छा इंसान बनना होता है वो भी तो खुद के लिए जीना चाहती है

मुझे पता है कि तुमभी अपने अन्दर बोहोत कुछ दबाये रखते हो रोना चाहते हो पर रो नही पाते। पर तुम्हे भी ये समझना होगाकी मैं भी समझती हूं कि दर्द तुम्हे भी होता है इसलिए तुम मेरे सामने दिल खोलकर रो सकते हो...! अपना मन हल्का कर सकते हो...!

सोनाली...✍