...

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किरदार
दरिया ए महोब्बत थे हम ,
तूने एक एक बूंद के लिए तरसाया है।
मैं निकल जाता इन बुरे हालातो से,
मेरी कब्र को ओर गहरा करके
फिर मुझे तुमने दफनाया है।
मंजिल पाने को हम काबिल थे,
कमबख्त हमे नंगे पांव ओर बैसाखियों के सहारे दौड़ाया है।
तेरे जाने के बाद लोगो ने अपने मका बदल लिया,
अब मेरी ज़िंदगी मे वीराना आ गया है।
ऐ खुदा मेरे गुनाहों का हिसाब मत मांगना,
कलम तेरी, कागज तेरा, ओर कहानी तूने लिखी,
मैं तो फकत एक क़िरदार था
बस अपना किरदार निभाया है।
© Verma Sahab

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