...

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किस्मत की फुसफुसाहट
मैंने जब जो भी मांगा,
मुझको न मिला,
जीवन में कभी तमन्नाओं का,
फूल न खिला,

मैंने चाहा मलहम तो,
मुझको घाव मिला,
चाहत महफ़िल की थी,
पर अलगाव मिला,

जिस काम में हाथ लगाया,
निष्फल हुआ,
पूरी कोशिश करके भी,
मैं असफल हुआ,

जिस राह पर कदम बढ़ाया,
किस्मत ने मुझको रोका,
जब भी न‌ई मंजिल बनाई,
किस्मत ने मुझको टोका,

शायद जो मेरी ख़्वाहिश है,
वो मेरी नियति नहीं है,
मेरी मंजिल कहीं और है,
जिसकी मुझको मति नहीं है, (मति=समझ)

यह किस्मत मेरे कानों में,
कुछ फुसफुसाती है,
कभी किसी इसारे से मुझको,
कुछ बताती है,

मैं अब किस्मत की फुसफुसाहट,
सुनने की कोशिश कर रहा हूं,
मैं अब इसके इसारों में, अपनी मंजिल,
खोजने की कोशिश कर रहा हूं,


© Aniket Sahu