...

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एक किताब पुरानी छोड़ गई
ले गई तू सब कुछ अपना
एक किताब पुरानी छोड़ गई
हर पन्ने पर लिखा हुआ , नाम हमारे दोनो का
जो लिए थे मजार से हमने वो धागे भी तू मोड़ गई
सब कुछ मोड़ दिया , उस गुलाब को तो रख लेती
नही होती बदनाम मेरे शहर में उस गुलाब को तो ढक लेती
उस सुर्ख गुलाब की पंखुड़ियां , हर दम परेशान सी रहती है
भीगी पलकों से वो चुपके से मेरी सिसकियां सुनती रहती है ।
© मेरे शब्द मुफ्त के हे क्युकी इनकी सही कीमत कोई नही लगा सकता है ।