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लड़कपन
चश्मे और चांदी भरे बालों से लैस, बच्चों को पढ़ाता वो गंभीर चेहरा जो कभी-कभी अपनी उम्र भूल कर बच्चों में बच्चा बन जाता है और उन्हें चुप कराते- कराते ख़ुद ही ठठा कर हँस पड़ता है।

वो आँखें जो दुकान में सबसे आगे रखी हुई संतरे की गोलियां देख कर मुस्करा देती हैं लेकिन आटे-दाल के भाव से झुंझती घर का ज़रूरी सामान लेकर आ जाती हैं।

हाथों में राशन की थैलियां लिये गुजरते वो...