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वामन अवतार
पराजित कर इंद्रदेव को
आधिपत्य किया स्वर्ग पर,
धमकाया देवताओं व ब्राह्मणों को।
इस तरह अजेय बलि, बन बैठा
स्वामी स्वर्ग लोक, भूलोक एवं पाताल लोक का।
तब थामे दामन आशा का,
इंद्रदेव पहुँचे, विष्णु सम्मुख
प्रार्थना की देवताओं पर उद्धार का।
आश्वस्त कर, विष्णु ने
सिखलाने सबक राजा बलि को,
विष्णु ने अवतार लिया वामन का।
धरा वेश बौने ब्राह्मण का,
पहुँचे बलि सम्मुख,
माँगा तीन कदम बराबर भूमि,
अहंकार से चूर बलि ने दे दिया वचन,
तब भगवान ने दिखलाई अपनी माया,
रूप धरा विशालकाय,
दो कदम में ही नाप लिया,
देवलोक व भूलोक।
तीसरा कदम उठाया ही था
कि चूर-चूर हो गया घमंड बलि का।
सिर झुका कर भगवन के सम्मुख कहा-
प्रभु तीसरा कदम यहाँ रखें।
डॉ अनीता शरण।
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