...

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अपनी खोज !!!
साल तो गुज़रा पर शायद थोड़े हम भी खर्च हुए
कुछ ठोकरे जिनसे अंजान थे अब खुद ही मर्ज़ हुए
वो कहते है ना एक छोटी लौ अँधेरे को मिटा देती है
एक वो हमारी मुस्कान और गायब सौ दर्द हुए ।।
अजीब नही, कुछ तो ज्यादा ख़ास था इस साल में
अपनेपन की परिभाषा बता दी इस आफत काल ने
चाहिए तो बहुत कुछ था इस बेजान दुनिया से
पर जितना है उतने की कद्र बतायी इस हाल ने ।।
एक जो अनोखा रिश्ता खुद से जो होता है
किसी और की तलाश में जो ये अमानुष खोता है
शायद...