...

18 views

ग़म
मेरे ख़ुदा फ़क़त ग़म ही मेहरबान क्यों है?
हर इक कदम यहाँ मेरा इम्तिहान क्यों है??

मालूम है, न आएगा मौसम-ए-बहार अब,
सहरा-ए-दिल मेरा इतना बद-गुमान क्यों है?

गरचे मुझे तबीयत से लूटा बे-वफ़ा ने,
फिर भी न जाने मेरा दिल बे-ज़बान क्यों है?

बेचारगी में मुझको अफ़सोस तो रहेगा,
बे-दिल के शहर में, मेरा भी मकान क्यों है?

दिल ने जिसे भी चाहा, हासिल हुआ नहीं वो,
अल्लाह जाने बद-क़िस्मत दिल में जान क्यों है?
© Azaad khayaal

221 / 2122 / 221 / 2122