...

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मोहब्बत:आखिरी पड़ाव
मोहब्बत की उस हद तक पहुंच चुका हूं
जब लोग जीना छोड़ देते हैं
उठाकर समंदर का कतरा जैसे
लोग पीना छोड़ देते हैं
अभी भी हूं, ये तेरी निशानियों का कमाल हैं
क्यूं हूं मैं ,ये मेरा खुद से भी सवाल हैं
जहन में तेरी खुशबू अभी भी बाकी हैं
खुद को कैसे अलग करूं,
तेरे निशां मुझमें काफी हैं



© Danish 'ziya'