...

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मृगजल
#बिखर
निखर जाएगा समझौता कर ले,
बिखर जायेगा ना हठ कर बे;
शीशा कहा टिकता गिर कर रे,
मन‌‌ का हाल भी हो जाता है ऐसा,
शीशे के टुकड़ों में ढूंढता अस्तित्व अपना,
देख मृगजल सी छाया अपनी,
बिखर के रह जाता है फिर एक बार।
© @_pritea_