तेरे सलाम के बाद
शुरु होता हे दिन का सफर तेरे सलाम के बाद
उठती हे सहर से नकाब तेरे सलाम के बाद
इन्तजार किया भोर का रातो को जागकर
खिलती हैं फिर एक नयी सुबह तेरे सलाम के बाद
तारो के बीच ढूंढ़ता रहा खोया हुआ वो चान्द ...
उठती हे सहर से नकाब तेरे सलाम के बाद
इन्तजार किया भोर का रातो को जागकर
खिलती हैं फिर एक नयी सुबह तेरे सलाम के बाद
तारो के बीच ढूंढ़ता रहा खोया हुआ वो चान्द ...