...

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कदर करते, हम भी तेरे प्यार की,
यार वजह कुछ और होती गर तेरे इन्कार की,
तो बेशक कदर करते, हम भी तेरे प्यार की,

तूने मगर बेरुखी से बे सबब बेजार कर डाला,
गफलत है क्या थी वजह नायाब से इकरार की,

उठा पर्दा गर शनासाई से तो हस्र क्या होगा,
दबी हैं अभी दिल में कई बातें हमारे राज की,

ये ज़हर-ए-क़ातिल हम पिएं भी तो भला कैसे,
इसमें दिखती है सूरत वही मेरे पुराने यार की,

ये काम मुश्किल है पर हम भुला देंगे तेरा अक्स,
कि तूने दिया धोखा जब तारीख थी इजहार की,

बिछड़ना है गर साया-बान से तो अहल हुनर बनो,
न बदल सकती है कैफियत सहराओं में अग्यार की,

और ये वक्त ही है, बदलेगा यकीनन हिज्र में भी,
भले ही चलती हैं मेरे हक में ये घड़ियां इंतजार की,

मुझे मैकश ने मैकदे में मशवरा क्या खूब बतलाया,
कर तौबा इश्क से तुम ज़ाम लो ये बातें हैं बेकार की,

अ प्रदीप गर है कलम में जोर हर पन्ना सजा डालो,
हो जाओगे बर्बाद, या मिलेंगी सोहरतें गुलजार की,

© #mr_unique😔😔😔👎