सुनहरी शाम
कितनी सुनहरी लगती है ना शाम की धूप,
हल्की नरम हल्की गरम
हल्की छुई और अनछुई सी शाम की धूप!
कौन कहता है सूरज रूमानी नहीं होता,
कभी फुर्सत से निहारो...
हल्की नरम हल्की गरम
हल्की छुई और अनछुई सी शाम की धूप!
कौन कहता है सूरज रूमानी नहीं होता,
कभी फुर्सत से निहारो...