वो शाम का नज़ारा नज़र से जाता नहीं है
वो शाम का नज़ारा नज़र से जाता नहीं है
जैसे तुम ने लुभाया कोई लुभाता नहीं है
रेत पर बैठकर संग तुम्हारे जो दिन गुजारे
दिल सब भूल जाये उसे भूल पाता नहीं है
सागर शांत, शांत तुम शांत मैं भी बेइंतहा
ऐसे दिलकश दौर तो कोई बिताता नहीं है
कितना कुछ खो दिया तुमने खो कर हमें
सच...
जैसे तुम ने लुभाया कोई लुभाता नहीं है
रेत पर बैठकर संग तुम्हारे जो दिन गुजारे
दिल सब भूल जाये उसे भूल पाता नहीं है
सागर शांत, शांत तुम शांत मैं भी बेइंतहा
ऐसे दिलकश दौर तो कोई बिताता नहीं है
कितना कुछ खो दिया तुमने खो कर हमें
सच...