कुछ ऐसी फितरत है हमारी ।
जमाने से अलग उसूल थे हमारे ।
जी हुजूरी की करने कीआदत नहीं हमें ॥
बड़े ही अदब से लुटाया हमने सब कुछ।
रहम की भीख पाने की आदत नही हमें ।
ज़मीर में शराफ़त की फितरत बनी रही । ज़मीर बेचकर जीने की...
जी हुजूरी की करने कीआदत नहीं हमें ॥
बड़े ही अदब से लुटाया हमने सब कुछ।
रहम की भीख पाने की आदत नही हमें ।
ज़मीर में शराफ़त की फितरत बनी रही । ज़मीर बेचकर जीने की...