ज़िंदगी के लमहे हमसे ये क्या करवा रहे हैं
जिंदगी के लम्हे हमसे ये क्या करवा रहे हैं, तुझे सुलझाने की कोशिश में हम खुद उलझते जा रहे हैं।
कुछ बिखरे से हैं ये रास्ते, जिन पर हम चलना चाह रहे हैं।
कुछ उलझन में है ये मन, जिससे हम भी लड़ते जा रहे हैं।
समय का खेल है कहां ले आया हमें, अजीब से मोड़ पर खड़े हैं।
न खुद को जान पा रहे हैं, न किसी को पहचान पा रहे हैं।
सादगी में छुपे हुए अजीब से लोगों को, बस अपना माने जा रहे हैं।
दूर हो रहे हैं क्या अपनों से, या किसी अनजान के पास जा रहे हैं।
जुड़े हुए हैं उसे जो चला गया है, या उसी की खोज में उसके पीछे भागे जा रहे हैं।
अकेले में आंसुओं को बहने देना चाह रहे हैं, या किसी...
कुछ बिखरे से हैं ये रास्ते, जिन पर हम चलना चाह रहे हैं।
कुछ उलझन में है ये मन, जिससे हम भी लड़ते जा रहे हैं।
समय का खेल है कहां ले आया हमें, अजीब से मोड़ पर खड़े हैं।
न खुद को जान पा रहे हैं, न किसी को पहचान पा रहे हैं।
सादगी में छुपे हुए अजीब से लोगों को, बस अपना माने जा रहे हैं।
दूर हो रहे हैं क्या अपनों से, या किसी अनजान के पास जा रहे हैं।
जुड़े हुए हैं उसे जो चला गया है, या उसी की खोज में उसके पीछे भागे जा रहे हैं।
अकेले में आंसुओं को बहने देना चाह रहे हैं, या किसी...