...

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कुछ ना कहो

लबों पर ख़ामोशी है मेरे,
सनम कुछ तुम भी ना कहना.
जो आंखे कह गई मेरी,
उसे आंखों से ही तुम पढ़ना.
जुदाई में बिताए है हमने,
ना जाने कितने दिन और रातें,
जो आना इस सावन में,
फिर जाने की बात ना करना.
लिखे हैं गीत कई मैंने,
विरह और जुदाई के,
मिलन के गीत अब निकले,
बस मन प्राण से मेरे. ...