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- हो जाती हैं कुछ स्त्रियाँ खंडहर- नुमा मकानों की तरह

हो जाती हैं कुछ स्त्रियाँ खंडहर- नुमा मकानों की तरह,
आसेबजदा हो जाता है उनका मन,
और आसेबजदा जगहों पे कोई जाना पसंद नहीं करता,
वो सुहागन होते हुए भी, कभी कोई साज- श्रृंगार नहीं किया करती हैं,
माथे पे कभी बिंदी नहीं लगाया करती हैं,
कलाई में उनके कभी रंग- बिरंगी चूड़ियाँ नहीं होतीं,
माथे को शौक से सिंदुर् से नहीं सजाया करती हैं,
बल्कि लगा लेती हैं इस लिए कि वो सुहागन हैं,
एक पतिवरता नारी हैं,
कभी शौक से अपने हथेलियों पे मेंहदी नहीं रचाती हैं,
बालों की खूबसूरत चोटियाँ...