...

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खामोशी बोलती है...
खामोशी अगर बोलती है तो,
चलो हम उससे बात करते हैं
दिल में दबे जज्बातों को,
आ तेरी हम आंखों में पढ़ते हैं
अगर तेरे राज हुए गहरे तो,
चलो हम उनको समझते हैं
ना छुपाया करो अरमानों को,
अपने हम उन से बहकते हैं
हमें परवाह है तुम्हारी,
इसी लिए सब हम से जलते हैं
हम पास नहीं है तुम्हारे,
इसी लिए हम तुम्हारी यादों में रहते हैं
अगर झूठ बोलोगे तुम तो,
तेरे ये नैना सच कहते हैं
जब भी तकलीफ में होते हो तुम,
तो मेरे ये नैना बहते हैं
हजारों ख्वाब टूटे हैं मेरे,
ये अपने सभी कहते हैं
तुम खामोश से जब होते हो,
तो जिंदगी में सन्नाटे से रहते हैं
खामोशी अगर बोलती है तो,
चलो हम उससे बात करते हैं
© ✍️Writer-S.K.Gautam