खामोशी बोलती है...
खामोशी अगर बोलती है तो,
चलो हम उससे बात करते हैं
दिल में दबे जज्बातों को,
आ तेरी हम आंखों में पढ़ते हैं
अगर तेरे राज हुए गहरे तो,
चलो हम उनको समझते हैं
ना छुपाया करो अरमानों को,
अपने हम उन से बहकते हैं
हमें परवाह है तुम्हारी,
इसी लिए...
चलो हम उससे बात करते हैं
दिल में दबे जज्बातों को,
आ तेरी हम आंखों में पढ़ते हैं
अगर तेरे राज हुए गहरे तो,
चलो हम उनको समझते हैं
ना छुपाया करो अरमानों को,
अपने हम उन से बहकते हैं
हमें परवाह है तुम्हारी,
इसी लिए...