...

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अंतिम विदाई
अस्पताल की सफ़ेद दीवारें
सफेद फ़र्श और सफेद चादरें
मॉनिटर पर लॉन्ग बीप के साथ
जब इन निस्तेज आँखों को खोलूँ
मेरे पास बैठे तुम
मेरे ज़र्द पड़ चुके हाथों को
अपने मजबूत-काँपते हाथों में थामे
मैं असमर्थ हो जाऊँगी कुछ कह पाने में
और तुम भी कुछ न कहना
हमेशा की तरह..
बस इतना करना
मेरे कान और गाल की सीमा-रेखा पर
जीवन भर की यादों के बदले
एक असहाय चुम्बन रख देना..
वो चूमना मात्र न होगा
वह होगा मेरी आत्मा के लिए
कोई मोक्ष-मन्त्र!!!

उम्र भर की समस्त देरियों को लाँघकर
मैं चल पडूँगी एकदम अकेले
उस यात्रा पर..
तुम्हारे नाम का मंत्र होठों से बुदबुदाए
इस आत्मा का कोई अधूरापन अब न होगा
तुम मेरे इतने सन्निकट होगे तो
जीवन की सम्पूर्ण-यात्रा की थकान थम चुकी होगी।
अरे हाँ!!
अभी तो उस खुदा को भी
एक अर्जी देनी होगी
कि अगले जन्म में जब हम दोनों का मिलना हो तो
तुम्हारे नाम का श्रृंगार कर
मेरा अंतिम विदाई-महोत्सव हो!!
हाँ!!अंतिम विदाई-महोत्सव!!

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© ©सीमा शर्मा 'असीम'