...

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तुम क्यों नहीं मिले ?
जिस सम्त गया तेरे ही नक्शे पा मिले
तुम क्यों नहीं मिले ?

राहों में कई लश्कर कई कारवां मिले।
तुम क्यों नहीं मिले ?

ताउम्र तेरी आरजू बस तेरी तलाश थी
बेफिजूल है तुम बिन ही जो जहां मिले
तुम क्यों नहीं मिले ?

मैं वहां तक जा पहुंचा तेरी तलाश में
जिस मंजर में जमीं से आसमां मिले
तुम क्यों नहीं मिले ?

दूजी आरजू ना रही तुझे देखने के बाद
जिंदगी की राह में तुमसे भी हसीं मिले
तुम क्यों नहीं मिले ?

उम्मीद के सहारे इक उम्र काट दी मैंने
कभी तुम ख्वाबों मे आकर भी ना मिले
तुम क्यों नहीं मिले ?

© छगन सिंह जेरठी