...

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मुझे तुम नज़र आते हो.....
आईने में देखती हूं छवि अपनी
मुझे तुम नज़र आते हो
इन खिलते हुए गुलाबों में
फूलों से भरे इन बागों में
मुझे तुम नज़र आते हो
मेरे दर्द-ए-दिल पर मरहम की तरह
मुझे तुम नज़र आते हो
आधा होता है आसमां में जब चांद
मुझे तुम नज़र आते हो
अश्कों के इन किनारों में
बेमौसम की इन फुहारों में
मुझे तुम नज़र आते हो
हज़ारों टुकड़ों में बिखर कर भी
खुदको फिर समेटने का वादा किया है
इश्क जो तुमसे इतना ज्या़दा किया है

#DakshDimple

© Gauri_68