तू मुझ में कहीं रह जाती है।
जुदा हो कर भी तू,मुझ में कहीं रह जाती है,
चुप रहती है फिर भी,बहुत कुछ कह जाती है।।
तेरी ये काली घनी ज़ुल्फें,इन हवाओं संग लहराती है,
तेरी ये सुरमई आँखे,किसी नदी सी बह जाती है।।
कितने ग़मो का साया हो,तू बिन कहे सह जाती है,
मुझ से दूर रह कर तुझे, मेरी याद आ जाती है।।
तुझसे दूर रह कर,मुझे तेरी याद सताती है,
जुदा हो कर भी तू,मुझ में कहीं रह जाती है।।
चुप रहती है फिर भी,बहुत कुछ कह जाती है।।
तेरी ये काली घनी ज़ुल्फें,इन हवाओं संग लहराती है,
तेरी ये सुरमई आँखे,किसी नदी सी बह जाती है।।
कितने ग़मो का साया हो,तू बिन कहे सह जाती है,
मुझ से दूर रह कर तुझे, मेरी याद आ जाती है।।
तुझसे दूर रह कर,मुझे तेरी याद सताती है,
जुदा हो कर भी तू,मुझ में कहीं रह जाती है।।