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आज सुबह मैं निकला घर से।
आज सुबह मैं निकला घर से।

जो न करना समझाया सबको,
कुछ वैसा ही खुद कर जाने को,
आज सुबह मैं निकला घर से,
सब खत्म कर मर जाने को।
दुःख तकलीफ से भरे इस जीवन से,
क्षण भर में मुक्त हो जाने को,
लड़ना सीखा जिन मुश्किलों से,
एक बार उन्हें पीठ दिखाने को।
आज सुबह मैं निकला घर से,
सब खत्म कर मर जाने को।
मोह माया के जंजाल से पल में,
सदा के लिए निकल जाने को,
अपने पराए सब को एक कर,
दुनिया से विदा हो जाने को।
आज सुबह मैं निकला घर से,
सब खत्म कर मर जाने को।
अपना सुख दुःख और खोया पाया,
सब को आज एक कर जाने को,
सारे कस्मे वादों से एक पल में,
आज सीधा मुकर जाने को।
आज सुबह मैं निकला घर से,
सब खत्म कर मर जाने को।
जीवन के इस काल चक्र से,
सीधा विलुप्त हो जाने को,
मर मर कर तो बहुत...