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कभी कभी
कभी कभी तुमसे होती बेफुजूल की बातों में
मुझे एक किताब से ज़्यादा मतलब मिलता है
हाथों से चेहरा थामे बैठे एक तस्वीर में
दिल थामे मेरा अक्स मिलता है
सोच मिलने मिलाने की जद्दोजहद बहुत दूर ले आयी मुझे
इतने दूर बैठा तू फिर क्यों इतना पास लगता है
इक ज़माने से अपनी बात मनवाने ख़ामोशी ले ओढ़ा हूँ
आज तेरे सामने ये लफ़्ज़ क्यों बेबाक बोलता है
तुमने अपनी सोच को चंद पंनों में दफन कर लिया
फिर मेरे सामने तेरे खुले नयन क्यों सब सच बोलता है
पर तुमने अपने परिंदो को उधार दिए है
फिर मेरे सोच के बादलों में कैसे तू उड़ान भरता है
© Mystic Monk
मुझे एक किताब से ज़्यादा मतलब मिलता है
हाथों से चेहरा थामे बैठे एक तस्वीर में
दिल थामे मेरा अक्स मिलता है
सोच मिलने मिलाने की जद्दोजहद बहुत दूर ले आयी मुझे
इतने दूर बैठा तू फिर क्यों इतना पास लगता है
इक ज़माने से अपनी बात मनवाने ख़ामोशी ले ओढ़ा हूँ
आज तेरे सामने ये लफ़्ज़ क्यों बेबाक बोलता है
तुमने अपनी सोच को चंद पंनों में दफन कर लिया
फिर मेरे सामने तेरे खुले नयन क्यों सब सच बोलता है
पर तुमने अपने परिंदो को उधार दिए है
फिर मेरे सोच के बादलों में कैसे तू उड़ान भरता है
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