...

8 views

कभी कभी
कभी कभी तुमसे होती बेफुजूल की बातों में
मुझे एक किताब से ज़्यादा मतलब मिलता है

हाथों से चेहरा थामे बैठे एक तस्वीर में
दिल थामे मेरा अक्स मिलता है

सोच मिलने मिलाने की जद्दोजहद बहुत दूर ले आयी मुझे
इतने दूर बैठा तू फिर क्यों इतना पास लगता है

इक ज़माने से अपनी बात मनवाने ख़ामोशी ले ओढ़ा हूँ
आज तेरे सामने ये लफ़्ज़ क्यों बेबाक बोलता है

तुमने अपनी सोच को चंद पंनों में दफन कर लिया
फिर मेरे सामने तेरे खुले नयन क्यों सब सच बोलता है

पर तुमने अपने परिंदो को उधार दिए है
फिर मेरे सोच के बादलों में कैसे तू उड़ान भरता है


© Mystic Monk