तक़दीर यूं बन के मिटा करती हैं....
पहले ... जीवन में रहा मुद्दतों अकेलापन ...
मन में छाया रहा सुबह शाम ... एक सूनापन,
बस फिर हुआ यूं कि अचानक किसी रोज़...
किसी ने दिल के दरवाज़े पर दस्तक दे दी!
दिल में किसी के यूं चुपचाप चले आने से बहार आई
जैसे हर तरफ फूल खिल उठे बहुत सारे,
जैसे फैल गई फिजाओं मे हर तरफ खुशबु
जैसे मौसम ए बहार का छा गया ... दिल में जलवा!
फिर...
मन में छाया रहा सुबह शाम ... एक सूनापन,
बस फिर हुआ यूं कि अचानक किसी रोज़...
किसी ने दिल के दरवाज़े पर दस्तक दे दी!
दिल में किसी के यूं चुपचाप चले आने से बहार आई
जैसे हर तरफ फूल खिल उठे बहुत सारे,
जैसे फैल गई फिजाओं मे हर तरफ खुशबु
जैसे मौसम ए बहार का छा गया ... दिल में जलवा!
फिर...