...

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ग़ज़ल

2122-1122-1122-22/112

मुझसे ऐसे कभी मंज़र नहीं देखे जाते
हाथ में यारों के ख़ंजर नहीं देखे जाते

हर जगह वो मुझे देते हैं दिखाई लेकिन
जिस जगह दिखना है अक्सर नहीं देखे जाते

जिनके घर शीशे के होते हैं उन्हीं से यारो
मेरे हाथों में...