...

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तुमने अगर आवाज दी होती...
तुमने अगर आवाज दी होती तो मै पल भर ठहरता,
वक्त के तटबंध पर मै शीतल जल बनकर ठहरता।

पर तुम्हे तो हार का अवसर दिखाई दे रहा था,
एक भयानक त्रासदी का डर दिखाई दे रहा था,
मुख से तो आप कुछ बोल नही पाए पर आखे सब कह रही थी,
पीर उर की नैन के कोरों से रिस कर बह रही थी ,
मौन थे तुम, आसुओं से थी दुपट्टे पर तरलता,
तुमने गर आवाज दी होती तो मै पल भर ठहरता।

प्राण! तुमको वक्त का...