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शायद
#zindadilsandeep
#kuchehsaasankahese
#शायद
शायद ज़माने के दस्तूर से रिश्ता तोड़ आया हूं।
शायद की ख़ुद को ही रास्तों पर तन्हा छोड़ आया हूं।।
शायद उम्र गुज़र रही है जाने किसकी तलाश में ?
शायद की ख़ामोशी के जहां में ख़ुद का नाम लिखवाया हूं।
शायद हिंदी मेरी बोलती है मेरी दिल की बातें कभी।
शायद की ख़ुद को ही अक्सर तबाह कर आया हूं।
शायद की कोई जुमला नहीं ज़िंदादिल में...