...

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आसमान के पार
कही दूर शितिज पर मेरा घर, पंछी से उधार लिये मैंने पर है.
ना कोई गम का अहसास है, मेरे चाहत मेरे पास है.
हवा ने दिखायी मुझे राह है, सितारें भी साथ हो ये मेरी आस है.
दूर शितिज पर मेरे सपने पल रहे है, ये जन्नत से कम थोड़ी ना है