...

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अवसरवादी
रिश्ते नाते, प्यार भरोसा, ये सब बन गई,
सिर्फ किताबी बातें।
न सच में, कोई किसी का साथी है,
न सच में, कोई किसी का हमसफर है।
ये तो बन गई है सिर्फ,
बातों का पुलिंदा।
जीवन में, बस
कुछ लोग रह गए हैं, चुनिंदा।
अक्सर लोग, दूसरों को कहते अवसरवादी,
पर कभी, स्वयं नहीं झांकते,
अपने दिल में।
अपने द्वारा किए गए उपकारों को,
दिन में हजारों बार गिनाते हैं,
कहते हैं, हमने तो सिर्फ,
बिना मतलब कि दूसरों की मदद ही की है,
क्या रूपक दे ऐसे, लोगों को,
जो इतने प्यार से,
गला कब काट जाए आपका,
आपको भी ना पता चले।
आप सोचते ही रह गए,
और वो,
आपका गला उतार ले गए।
डॉ अनीता शरण।