गांव या शहर
फूलों की बगिया में बचपन
बीत रहा था खुशियों से
फिर न जाने कौन सी ख्वाहिश
उपजी मन में तेजी से,
खुशियों भरे इस मन को जिसने
मानो यूं झकझोड़ दिया
फूलों की बगिया से जाते
राही को क्यों मोड़ दिया ?
फूलों की मुस्कान जो मन को
पास जो अपने रोज बुलाती
अनदेखा उनको करके जो
पता नहीं किस राह मैं जाती
न जाने मैं किस तलाश में
अपनों से यूं दूर जो आकर
किस सुुगंध की...
बीत रहा था खुशियों से
फिर न जाने कौन सी ख्वाहिश
उपजी मन में तेजी से,
खुशियों भरे इस मन को जिसने
मानो यूं झकझोड़ दिया
फूलों की बगिया से जाते
राही को क्यों मोड़ दिया ?
फूलों की मुस्कान जो मन को
पास जो अपने रोज बुलाती
अनदेखा उनको करके जो
पता नहीं किस राह मैं जाती
न जाने मैं किस तलाश में
अपनों से यूं दूर जो आकर
किस सुुगंध की...