...

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सप्तधारा
🌊💦सप्तधारा💦🌊
ख़्वाबों की दुनिया थी,
लहरों का शोर था,
मानों पहाड़ को अपनी,
पैनी तेज़ धार से
काटने का जोर था,
पत्थरों के बड़े-बड़े टुकड़े,
तिनकों सा बह चले,
तेज रफ़्तार धार के कारण,
मीलों दूर जा कर,
किनारे ठहर चले,
उस ठहरे हुए टुकड़े पर,
बैठे हम घंटों किनारे की धार से,
बातें करने लगे......,
ये जगह थी सप्तधारा,
हर की पौड़ी, हरिद्वार से
पाँच किलोमीटर दूर,
जहाँ हमारे सातों ऋषियों ने
तपस्या किया, वहाँ गंगा,
सात धाराओं में बंट गई,
ताकि तपस्या में विघ्न न पड़े,
निकट ही सातों ऋषि के
आश्रम हैं बने हुए,
एक बार रुकने का मौका था वहाँ,
असीम सुकून था जहाँ......।
__अर्चना भारती

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