...

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ज़माने में
फुर्सत कहाँ मिलती है जमाने में।
दिल लगता नहीं गरीब खाने में।

मैं उनसे ही रोज गुफ्तगू करता हूँ,
वो नहीं आते मेरे गरीब खाने में।

गर हो इजाजत तो मैं भी कुछ कहूँ
कह दूँ वो बात जो है मेरे फँसाने में।

औरत को थोड़ा प्यार दे कर देखो,
जन्नत उतर आएगा आशियाने...