"कैसा ये प्रेम!"
यादों से घिरे फिर भी तन्हा
मिलन की आस में तड़पते,
कैसा ये प्रेम!
बहती झरती अँखियाँ
दीदार को भी तेरे तसरते,
कैसा ये...
मिलन की आस में तड़पते,
कैसा ये प्रेम!
बहती झरती अँखियाँ
दीदार को भी तेरे तसरते,
कैसा ये...