...

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"कसम चार दिवारी की"
चुप्पी के अल्फ़ाज़ -
"कसम चार दिवारी की"

कसम चार
दिवारी की
टिमटिमाते
ड्रीमकैचर के संग,
200bpm की
स्पीड पर
बजते रहे
रात भर हम।।

जिगर के
जो छल्ले थे
वो भगत शून्य
में लीन थे।

तंत्रा की तपस्या में
वो तपते रहे
शून्य की लहरों पे
जो झूलते रहे।

अंधी रात के
कॉस्मिक
ज़हर में,
psy के
तांडव में,
रात भर वो
यूँही बजते रहे।

कसम चार
दिवारी की,
अब झूठ ना
बोलेंगे हम।

अय्याशी का
जो नंगा वो
नाच किये
उसे भुलाये
ना हम
भुला पाएंगे।

चमचमाती
सफेद सी
चोटी की
सीध में
वो खींचते गए
लंबी लकीरें
और तप की
ज्वाला के
नाम पर,
200bpm के
psy में हम
उनके संग
रात भर
बजते रहे।

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© Kunba_The Hellish Vision Show