सिक्कों की आवाज से यारी है..❤️✍️(गजल)
किसने कहा इस समाज से यारी है
हमें बस अपने अंदाज से यारी है
वो लोग दिलों पर क्या करेंगे राज
जिनकी बस तख्तो ताज से यारी है
कल करने वालों का ना आया कल
हमें तो बस 'सत्या' आज से यारी है
वो भी शिकार होंगे एक दिन साहब
जिन परिंदों की एक बाज से यारी है
मैं सर झुकाता उन देवियों के पदों में
जिनकी मर्यादा और लाज से यारी है
अपनी सहानुभूति अपने पास रखिए
भूखे पेट की बस अनाज से यारी है
निठल्ला मत बैठ अपने घर में बसर
खुश हैं वो जिनकी काज से यारी है
दुनिया को प्यार वफा से मतलब नहीं
सबको सिक्को की आवाज से यारी है
© Shaayar Satya
हमें बस अपने अंदाज से यारी है
वो लोग दिलों पर क्या करेंगे राज
जिनकी बस तख्तो ताज से यारी है
कल करने वालों का ना आया कल
हमें तो बस 'सत्या' आज से यारी है
वो भी शिकार होंगे एक दिन साहब
जिन परिंदों की एक बाज से यारी है
मैं सर झुकाता उन देवियों के पदों में
जिनकी मर्यादा और लाज से यारी है
अपनी सहानुभूति अपने पास रखिए
भूखे पेट की बस अनाज से यारी है
निठल्ला मत बैठ अपने घर में बसर
खुश हैं वो जिनकी काज से यारी है
दुनिया को प्यार वफा से मतलब नहीं
सबको सिक्को की आवाज से यारी है
© Shaayar Satya
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