मणिकर्णिका सी मोहब्बत मेरी🥀🫶
सबकुछ जल रहा है, जिन्दा है तो सिर्फ मणिकर्णिका,
राख़ लपेटे, भस्म लपेटे!
ये कुछ दरिया सी आँखें हैं,
मणिकर्णिका पर बैठे, क्रन्दन के भाव में,
बस एक टक सी निहारती भस्मो को, जो खुद को जलते देख रही,
एक तरफ मणिकर्णिका का बांध,
जो बांधे हुए है, आँखों की दरिया को,
डर, भय, क्रोध, क्रन्दन, जिजीविषा, सबकुछ जल रहा हो जैसे,
भय है तो सिर्फ एक,
कि ये दरिया सी आँखें मणिकर्णिका छोड़ते ही समंदर ना हो जाएं, और समंदर के हिलोरो को बांध पाना अत्यंत मुश्किल है,
जल रहा हो जैसे अंतर्मन,
जल रही हो जैसे खुद की परछाई,
जल रहा हो जैसे मणिकर्णिका का ये निर्भय जल,
राख़ हो जायेगा सबकुछ, ये शरीर, ये कनक जो मुँह में डाला गया था मोक्ष को,
ये मन, ये दम्भ, ये रिश्ते, नाते, सब, सबकुछ,
ये जो मुर्दा लाशें जलते हुए भी ऐंठ रही हैं खुद को,
जैसे मानो कह रही हो कि क्या होगा मेरे संपत्ति का,
क्या होगा मेरे लोगों का,
क्या होगा उन अनुयाईयों का,जो कतारबद्ध खड़े मुझे जलता देख रहे हैं,
और राजा डोम जलते दम्भ पर लाठियां बरसा रहा है,
जैसे कह...
राख़ लपेटे, भस्म लपेटे!
ये कुछ दरिया सी आँखें हैं,
मणिकर्णिका पर बैठे, क्रन्दन के भाव में,
बस एक टक सी निहारती भस्मो को, जो खुद को जलते देख रही,
एक तरफ मणिकर्णिका का बांध,
जो बांधे हुए है, आँखों की दरिया को,
डर, भय, क्रोध, क्रन्दन, जिजीविषा, सबकुछ जल रहा हो जैसे,
भय है तो सिर्फ एक,
कि ये दरिया सी आँखें मणिकर्णिका छोड़ते ही समंदर ना हो जाएं, और समंदर के हिलोरो को बांध पाना अत्यंत मुश्किल है,
जल रहा हो जैसे अंतर्मन,
जल रही हो जैसे खुद की परछाई,
जल रहा हो जैसे मणिकर्णिका का ये निर्भय जल,
राख़ हो जायेगा सबकुछ, ये शरीर, ये कनक जो मुँह में डाला गया था मोक्ष को,
ये मन, ये दम्भ, ये रिश्ते, नाते, सब, सबकुछ,
ये जो मुर्दा लाशें जलते हुए भी ऐंठ रही हैं खुद को,
जैसे मानो कह रही हो कि क्या होगा मेरे संपत्ति का,
क्या होगा मेरे लोगों का,
क्या होगा उन अनुयाईयों का,जो कतारबद्ध खड़े मुझे जलता देख रहे हैं,
और राजा डोम जलते दम्भ पर लाठियां बरसा रहा है,
जैसे कह...