ग़ज़ल
देर तक देखी थी हमने बे - ख़याली पेड़ की
रफ़्ता रफ़्ता गिर पड़ी हर एक डाली पेड़ की
देखने को रोज़ पतझड़ इन्तेहाई देख ले
देख पायेंगे नहीं हम पाएमाली पेड़ की
सर्द रातें हैं क़यामत और चलती ये हवा
सो गए सारे परिंदे रात काली पेड़ की
पेड़ के नीचे शिकायत कर रहा वो शख्स
फिर ध्यान से...
रफ़्ता रफ़्ता गिर पड़ी हर एक डाली पेड़ की
देखने को रोज़ पतझड़ इन्तेहाई देख ले
देख पायेंगे नहीं हम पाएमाली पेड़ की
सर्द रातें हैं क़यामत और चलती ये हवा
सो गए सारे परिंदे रात काली पेड़ की
पेड़ के नीचे शिकायत कर रहा वो शख्स
फिर ध्यान से...