...

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रिश्ता
कैसी अनगढ़ी सी कहानी
ना तू अनजान, ना मैं अनजानी
फिर क्यों दरमियान है मीलों की दूरी
ना तूने तय की ,ना मुझसे तय हो पानी

होठों से मुस्कुराहट जैसे जुदा है,
सूख गया है आंखों का पानी ।
तसल्ली दूं तो किस बात पर,
ना तू सपनों का राजा ,
ना मैं सपनो की रानी ।।
दिल जुदा हो रहे हैं,फासले बढ़ रहे हैं ......
खयालों से गायब हो रही है मोहब्बत
यह कैसा रिश्ता है ,
यह कैसा बंधन है
ना तूने कभी माना, ना मैं कभी मानी

ठहराव की जरूरत है जिंदगी को
रुक कर पीछे देखना जरूरी हो गया है
आगे बढ़ते बढ़ते कुछ तो पीछे छूटा है,

तू जिम्मेदारी नहीं उठा पाया कभी
अब मेरी भी जिद है,मुझे भी नहीं उठानी

अल्फाज अधूरे हैं हसरतें अधूरी हैं
तू आंखें बंद करके जीता आया है
सब कुछ हाथों से निकल जाएगा
मुट्ठी भर रेत की तरह
ना तू है अनजान और ना मैं अनजानी